दिया तले अंधेरा-कलेक्टर के बंगले के पास कुएं पर अवैध मजार

ये इंदौर है साहब यहाँ अफसरों की आँखे तब खुलती हैं, जब कुछ घटना घटती है। नहीं तो सब जिम्मेदार सोते रहते हैं। किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ता, जनता भले त्रस्त हो परेशानियों से। जैसे बारिश होने पर ड्रेनेज चौक हो जाती है, लेकिन उसके पहले कोई जिम्मेदार नहीं जागता कि इनकी सफाई समय से करवा दे।

दिया तले अंधेरा-कलेक्टर के बंगले के पास कुएं पर अवैध मजार

अवैध निर्माण के नाम पर तोड़ रहे मंदिर, लेकिन इस मजार की ओर किसी का ध्यान नहीं

रेसीडेंसी इलाके में कलेक्टर के घऱ के पास बनी है यह अवैध मजार, मेहरबानी क्यों

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।

वैसे ही अभी 36 लोगो की मौत के बाद प्रशाशन की नींद कुछ तो खुली है, लेकिन पूरी नहीं खुली। अभी धार्मिक स्थलों को तोड़ने के आदेश इस बात पर दिए कि ये अतिक्रमण की हुई जगहों पर बने हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी ये नहीं कहता कि ये यहाँ सालो से बने हैं और इनको हमारा ही संरक्षण प्राप्त है। कारण जो भी हो अभी भी कुछ स्थान ऐसे हैं, जो शासन प्रशासन की आँखों के सामने होते हुए भी उन्हें नहीं दिखाई दे रहे हैं।

रेडियो कॉलोनी स्थित मजार इसी का एक प्रमाण है। यह भी कुएं पर बनी है। यहाँ पर शहर की सभी जाने मने अधिकारियो के बंगले हैं। दिन-रात यहीं से निकलते गुरते हैं, लेकिन आज तक किसी ने इस और किसी का भी ध्यान नहीं गया। कम से कम अब तो चले जाए। क्योंकि धर्म स्थल किसी भी धर्म का हों उसमें आराधना करने वाला मानव ही होता है। यदि भविष्य में यहाँ भी कोई दुर्घटना होती है तो दुर्घटना का शिकार मानव ही होगा।

अतः भावी दुर्घटना न हो इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि इस इलाके में अधिकारियो के बंगले हैं। जिस जगह ये मजार बनी है, वहाँ पर पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह, नवीन कलेक्टर इल्लैयाराजा टी., पूर्व निगमायुक्त प्रतिभापाल, पूर्व महापौर मालिनी गौड़, नवीन महापौर पुष्पमित्र भार्गव सहित कई जाने माने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियो के बंगले तो हैं ही साथ ही साथ यहाँ रेसीडेंसी कोठी भी है, जहां अक्सर मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रियो तक का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन फिर भी किसी ने जहमत तक नहीं उठाई की ये अवैध निर्माण तोड़ सके या तुड़वा सके।

समय रहते पहले भी नहीं सुनी

पटेल नगर की दुर्घटना के बाद माननीय मुख्यमंत्री और संपूर्ण प्रशासनिक अमला अल्पकालीन प्रवास पर लग चुका है, परंतु जो घटना घटित हों चुकी हैं, उसकी पूर्ति अब किसी भी प्रयास के फोरम पर हों संभव नहीं है। पर आगे ऐसी घटना नहीं हों उसके लिए पीआईएल फ़ाइल हुई है और संभवत प्रभावित परिवार भी इस दिशा में आगे आने की तैयारी कर रहें हैं, जिसके पीछे उनकी सोच यह है कि हमने जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन तक गुहार लगाई पर समय रहते किसी ने नहीं सुनी और अब इतनी जान जाने के बाद कार्यवाही की गई। जिसका मतलब यह है कि रहवासियों की शिकायत सही थी।

अवैध निर्माण पर क्यों मूंदे हैं आंखें

काश जनप्रतिनिधि और नेता के पास जिस तरह चुनाव के समय जनता के बीच जाने का समय होता है, वही समय चुनाव के बाद मिले तो ऐसी दुर्घटना जन्म ही न ले। परंतु आंसू छलकते हुवे सिर्फ इतना ही कहते हैं कि यदि आज प्रभावित पक्ष हर स्तर पर आगे नहीं आए तो दुर्घटना फिर होगी संभवतः स्थान और शहर बदल जाए। इसलिए ऐसे अंधे अवैध निर्माण पर सबकी नजर होनी चाहिए। ताकि ऐसी कोई घटना मानव भूल या उसकी लापरवाही से घटित न हो।