अब फिर होगा मोटे अनाज (मिलेटस ) का दबदबा 

इंदौर में होने जा रही G 20 समिट में होगी चर्चा ,AWG की होने जा रही बैठक में कृषि विशेषतः  मोटे  अनाज के लिए उच्च तकनीक ,बाजार और अन्य बातों पर होगी विस्तृत चर्चा !   

अब फिर होगा मोटे अनाज (मिलेटस ) का  दबदबा 

 द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर 

जाने क्यों खास हे मोटे अनाज और क्या हे इनका इतिहास  

मिलेट्स दुनिया के सबसे पुराने उगाए जाने वाले अनाजों में से हैं और हजारों वर्षों से पूरे अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में उगाए जाते हैं., इनका उपयोग तरह तरह के  व्यंजन बनाने के लिए लिए किया जा सकता है !

भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को प्रस्ताव दिया था कि साल 2023 को International Year of Millets (IYOM) के रूप में घोषित किया जाए.! भारत के इस प्रस्ताव को 72 देशों और युनाइटेड ने समर्थन दिया था. जिसके बाद राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 5 मार्च, 2021 को घोषणा की कि 2023 को International Year of Millets के रूप  में घोषित किया गया  ! भारत सरकार का उद्देश्य लोगों को मिलेट्स के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना है ताकि हर देश, इलाके के लोग इसे अपने डाइट में शामिल करें और मिलेट्स के लिए किसानों  को अच्छा बाजार और अच्छे रेट्स मिल सकें ! अब सवाल है कि भारत में मिलेट्स का इतिहास क्या है ? और कौन-कौन से अनाज हैं, जिन्हें हम  सामूहिक रूप से 'मिलेट्स' के नाम से जानते हैं.?

मिलेट्स का इतिहास

मिलेट्स, वास्तव में छोटे-बीज वाली घासों का एक समूह है, जो व्यापक रूप से दुनिया भर में अनाज फसलों या मानव भोजन के लिए अनाज और चारे के रूप में उगाया जाता है. भारत में, कुछ सबसे पुराने यजुर्वेद ग्रंथों में इनका उल्लेख किया गया है. 50 साल पहले तक भारत में मिलेट्स जैसे बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो, कुटकी आदि प्रमुख अनाज थे. लेकिन समय के साथ इनका महत्व खो गया और भारतीयों ने पश्चिमी देशों से प्रभावित होकर मिलेट्स को मोटे अनाजों और खासतौक पर ग्रामीण खाने के रूप में देखना शुरू कर दिया. जिस कारण इनकी खेती में भी क...इनकी खेती में भी कमी आई और साथ ही, किसानों की फसल के लिए बाजार भी घटे.  

मिलेट्स के प्रकार 

ICRISAT की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिलेट्स की दो व्यापक श्रेणियां हैं- मेजर या मुख्य मिलेट्स और माइनर या छोटे मिलेट्स. बाजरा, ज्वार,रागी और कंगनी मुख्य मिलेट्स की श्रेणी में आते हैं. और समा, कोदो, चिन्ना इत्यादि को छोटे मिलेट्स माना जाता है.  हर एक मिलेट का अपना महत्व है. जैसे कि बाजरा, कैल्शियम से भरा होता है, ज्वार में पोटेशियम और फास्फोरस होता है, और कंगनी में फाइबर होता है जबकि कोदो आयरन से भरपूर होता है. इसलिए हमें सभी तरह के मिलेट्स खाते रहना चाहिए. 

'सुपरफूड' और 'स्मार्टफूड' हैं मिलेट्स

कम पानी, उर्वरक और कीटनाशकों के साथ कम उपजाऊ मिट्टी में भी मिलेट्स को उगाया जा सकता है उच्च तापमान में भी ये अच्छा ग्रो करते हैं और इसी कारण इन्हें 'क्लाइमेट-स्मार्ट' अनाज कहा जाता है.  मिलेट्स सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं. मिलेट्स में प्रोटीन, फाइबर, बी विटामिन, कैल्शियम, आयरन मैंगनीज, मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक, पोटेशियम, कॉपर और सेलेनियम सहित बहुत से पोषक तत्व होते हैं.  मिलेट्स एंटीऑक्सिडेंट, फ्लेवोनोइड्स, एंथोसायनिन, सैपोनिन और लिग्नन्स का एक पावरहाउस भी हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं. इसलिए इन्हें सुपरफूड कहा जाता है.  

सेहत के लिए हैं फायदेमंद 

ब्लड ग्लुकोज लेवल को मेंटेन करते हैं मिलेट्स, गेहूं और मक्का की तुलना में, पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और ग्लुटन-फ्री भी होते हैं. इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है. इनमें उच्च मात्रा में डाइटरी फाइबर, सभी आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन और मिलरल्स के साथ प्रोटीन भी होता है और इसके कारण ये ब्लड ग्लुकोज लेवल को मेंटेन करते हैं.

वजन घटाने में मदद

मिलेट्स खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है. जैसे बाजरे का आटा नियमित आहार में शामिल करना या नाश्ते के लिए मिलेट्स को शामिल करने से... मोटे लोगों अपने बीएमआई को कम कर सकते हैं.  

दिल के लिए अच्छे हैं मिलेट्स

मिलेट्स, एंटीऑक्सिडेंट्स का अच्छा स्त्रोत हैं जिसमें बीटा-ग्लूकेन्स फ्लेवोनोइड्स, एंथोसायनिडिन, टैनिन, लिग्नन्स और पोलिकोसैनोल शामिल हैं. ये एंटीऑक्सिडेंट एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.और आर्टरीज को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं.  

कैंसर सेल्स से करते हैं फाइट

फॉक्सटेल और प्रोसो वैकायटी के मिलेट्स कैंसर सेल्स के विकास को रोकने में प्रभावी साबित हुए हैं.  मिलेट्स में फाइटोकेमिकल्स सामान्य कोशिकाओं को कोई नुकसान पहुंचाए बिना कोलन, ब्रेस्ट और लिवर में कैंसर सेल्स के निर्माण को कम करते हैं. 

अच्छा होता है डाइजेशन

मिलेट्स में अच्छी मात्रा में डाइटरी फाइबर होने से डाइजेस्टिव सिस्टम अच्छा होता है. इससे कब्ज, पेट फूलना, सूजन, ऐंठन जैसी परेशानियां कम से कम होती हैं. लिवर और किडनी जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों के स्वास्थ्य में सुधार होता है और इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है  !