घोषणा हुई लैंड पुलिंग कानून ख़तम करने की, खत्म की सिर्फ योजना

गौरतलब है कि किसानों के लगातार विरोध के चलते मुख्यमंत्री ने सोनकच्छ में भरे मंच से लैंड पूलिंग एक्ट को खत्म करने की घोषणा की थी, जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। ऐसी ही एक घोषणा वर्ष 2016 में किसान आंदोलन के तहत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय किसान संघ से की थी, जिसमें उन्होंने मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम में किए गए किसान विरोधी संशोधन को वापस लेने की बात कही थी, जो अभी तक भी पूर्ण नहीं की जा सकी है। 

घोषणा हुई लैंड पुलिंग कानून ख़तम करने की, खत्म की सिर्फ योजना

औद्योगिक विकास निगम ने फिर किया गुमराह, कानून के तहत सिर्फ घोषित योजना को ख़त्म करने दिया आश्वासन

सोनकच्छ में सीएम ने की थी लैंड पूलिंग खत्म करने की घोषणा, परकानून आज भी बरक़रार, स्थिति जस की तस

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।

इस बार भारतीय किसान संघ फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है और लगातार अधिकारियों से संपर्क बनाकर घोषणा पर की गई कार्रवाई की जानकारी ले रहा है। देवास जिले में लगभग 30 से ज्यादा गांव की सिंचित भूमि इकोनामिक कॉरिडोर के नाम पर अधिग्रहित की जाना है, जिसका संपूर्ण देवास जिले के किसान विरोध कर रहे हैं।

कुछ ही वक्त पहले लगभग 900 ट्रैक्टरों के साथ में देवास कलेक्टोरेट का भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में घेराव भी किया गया था और इसी दबाव के कारण मुख्यमंत्री को बैकफुट पर आना पड़ा। अब एमपीआईडीसी द्वारा सिर्फ देवास में योजना को ख़त्म करने की बात की जा रही है, लेकिन कानून खत्म करने पर मौन साध लिया गया है। इतना ही नहीं इसी कानून के तहत इंदौर में अधिग्रहण की तैयारी भी की जा रही है। भारतीय किसान संघ का स्पष्ट मानना है कि सिंचित भूमि का किसी भी कीमत पर अधिग्रहण नहीं किया जाना चाहिए और अगर ऐसा होता है तो वह न सिर्फ किसानों का रोजगार बर्बाद करेगा, बल्कि देश में खाद्य सुरक्षा पर भी एक बड़ा खतरा बन जाएगा।

कृषि उद्योग खत्म करना कतई मंजूर नहीं

सिर्फ देवास ही नहीं संपूर्ण प्रदेश में भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठन भूमि अधिग्रहण उद्योगों के नाम पर किए जाने का विरोध कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि आवागमन के लिए सड़कों का विस्तार हो उसमें उनका विरोध नहीं है, लेकिन कृषि उद्योग खत्म कर दूसरे उद्योग लगाना कतई मंजूर नहीं। अक्सर देखने में आया है कि औद्योगीकरण के नाम पर सरकार जमीनों का अधिग्रहण तो कर लेती है, लेकिन दशकों तक ना उन पर उद्योग लगते हैं, ना ही क्षेत्र का विकास किया जाता है। कई जगह तो यह हालत है कि अधिग्रहण हुए दशकों बीत गए लेकिन किसानों को आज तक भी मुआवजा नहीं दिया गया है।

केंद्र के कानून के ऊपर नए एक्ट क्यों..?

भारतीय किसान संघ का मानना यह भी है कि जब केंद्र शासन द्वारा नवीन भूमि अधिग्रहण लाया जा चुका है, उसके बाद प्रदेश सरकारों को खुद का भूमि अधिग्रहण कानून बनाने की जरूरत नहीं है। नवीन भूमि अधिग्रहण में 2 गुना और 4 गुना मुआवजा देने का प्रावधान है, जिससे सरकार बच रही है और नए-नए गैर व्यवहारिक कानून लेकर आ रही है। बेशक देवास के इकनोमिक कॉरिडोर को रोल बैक करने का मुख्यमंत्री कह चुके हैं, लेकिन लैंड पूलिंग एक्ट भी खत्म होना चाहिए, क्योंकि इस कानून को किसी भी रूप में तार्किक नहीं कहा जा सकता और अगर कानून खत्म नहीं किया जाता है तो यह एक बार फिर किसानों के साथ छलावा होगा।

प्रतिनिधि मंडल में जिला मंत्री देवास शेखर पटेल, संगठन मंत्री मालवा प्रांत अतुल माहेश्वरी, दिलीप मुकाती नगर अध्यक्ष इंदौर शामिल रहे।