इंदौर की बेटियों की इंदौर की बेटी को अनूठी स्वरांजलि
भारत की सुरदेवी लता ताई की जन्मस्थली से चंद कदम दूरी पर उनकी याद में बेहद अनूठा संगीतमय कार्यक्रम हुआ। इंदौर प्रेस क्लब में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम स्वरांजलि के माध्यम से सरस्वती के आंगन में सरस्वती स्वरूपा लता ताई का पुण्य स्मरण किया गया।
शहर की गायिकाओं ने लता जी के गीतों का आलाप लिया तो सजल हो गए सुनने वालों के नेत्र
द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.
प्रणाम लता दीदी के नाम से हुए इस कार्यक्रम में शहर के तमाम संगीत रसिक, गणमान्य जन और कलमकार बड़ी संख्या में मौजूद थे। इंदौर की बेटी लता ताई को इंदौर की ही सुरमयी बेटियों ने गीतों के माध्यम से आदरांजलि प्रेषित की। शहर की गायिकाओं ने जब लता जी के गीतों का आलाप लिया तो सुनने वालों के नेत्र सजल हो गए।
आरंभ में वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र व्यास और कला समीक्षक संजय पटेल ने लता जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें शब्दांजलि अर्पित की। रवीन्द्र व्यास ने कहा कि बिखराव और तनाव के इस दौर में लता जी की आवाज एक ठहराव है। ये वो आवाज है जिसमें अपनत्व है, प्यार है। बुखार से तपते शरीर पर माथे पर ठंडी पट्टी के समान लता जी की आवाज है।
संजय पटेल ने कहा कि लता जी का जाना ऐसा लगता है मानों रामचरित मानस कुछ चौपाइयां कम हो गई हों। शारीरिक रूप से भले वह हमारे बीच न हों, लेकिन अपनी आवाज के माध्यम से वे युगों-युगों तक हमारे बीच रहेंगी। इस मौके पर प्रेस क्लब की ओर से अध्यक्ष अरविंद तिवारी, महासचिव हेमंत शर्मा और कार्यक्रम के संयोजक प्रदीप जोशी ने गायिकाओं, संगीतकारों और अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का सूत्र संचालन राजेश जैन ने किया।
लंबे समय तक याद रहेगी सुरों की ये महफिल
लता ताई की स्मृति आयोजित स्वरांजलि लंबे समय तक सुनने वालों के जहन में यादगार बनी रहेगी। इंदौर की काबिल गायिकाओं ने एक के बाद एक सुमधुर गीतों के माध्यम से लता ताई को भावपूर्ण स्वरांजलि अर्पित की। शुरुआत रसिका गावड़े ने बाजे रे मुरलिया... से की और अगला ही गीत उन्होंने माई रे.... सुनाया। उनके बाद उदयीमान गायिका गुरुषा दुबे ने लता जी की एक खास नान फिल्मी नज्म नक्श फरियादी है.... पेश की। फिर सांझ भई घर आजा... लता जी का यह खास गीत जयति बेहरे ने बहुत कुशल अंदाज में गाया।
आकांक्षा का अंदाज रहा जुदा
इसके बाद आकांक्षा जाचक ने बहुत खास अंदाज में लता जी के दो गीत सुनाए। अहसान तेरा होगा मुझ पर.... इस गीत ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। नाम गुम जाएगा.... लता जी का यह खास गीत जब अर्पिता बोबड़े ने सुनाया तो लगा ही नहीं कि ये लाइव परफारमेंस हो रहा है। मोना शिवड़े ने बहुत सधी हुई आवाज में सुनियो जी अरज हमारी.... सुनाया। लता जी का एक समधुर गीत आएगा आने वाला.... सुनाकर सपना भाटे ने अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी।
तीन घंटे तक चली महफिल
शास्त्रीय गायिका शोभा चौधरी की शिष्या अनार्ता भास्कर ने मो से छल.... खूब भाव के साथ सुनाया। फिर नुपुर पंडित सुमधुर गीत कुछ दिल ने कहा... लेकर आई। लता जी का यादगार गीत लग जा गले.... अनुभा खाडिलकर ने सुनाया। इसके बाद एक प्यार का नगमा है.... इस मधुर नग्मे को राशिका नीमा ने आवाज दी। फिर पूनम ठाकुर ने लता जी का पुरकशिश गीत यारा सिली सिली.... सुनाया। तीन घंटे तक एक के बाद एक शानदार गीतों की प्रस्तुतियां होती रहीं। ये मेरे वतन के लोगों.... इस अमर गीत के साथ महफिल का समापन अर्पिता बोबड़े ने किया।
साज यंत्रों पर इन्होंने दिया साथ
गायिकाओं का साथ की-बोर्ड पर रवि साल्के, बेस गिटार पर राजेश मिश्रा गुड्डू, तबले पर बाबला गजभिये और ऑक्टोपेड पर अनूप कुलपारे ने दिया। कार्यक्रम में उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत अकादमी के निदेशक जयंत भिसे, ख्यात गायिका शोभा चौधरी, गौतम काले, सेवा सुरभि के अध्यक्ष ओम नरेडा, स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सहप्रमुख अलका सैनी, अभिषेक गावड़े, म.प्र. हिन्दी साहित्य समिति के हरेराम वाजपेयी सहित कई जनप्रतिनिध, कलमकार और शहर की सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के अनेक प्रतिनिधि व गणमान्य लोग उपस्थित थे।