भूअर्जन अधिकारी  ने प्राधिकरण को पहुंचाया करोड़ों का नुकसान

प्राधिकरण की योजना क्र 97 भाग 4  से जुड़े एक मामले की सुनवाई के बाद आदेश पारित कर खुद प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण भोपाल ने मानी चूक, दिया विभागीय जांच का आदेश, हाल ही में प्राधिकरण 500 करोड़ की 210  एकड़ पर योजना का सर्वोच्च न्यायलय से जीत चुका हे केस ! 

भूअर्जन अधिकारी  ने प्राधिकरण को पहुंचाया करोड़ों का नुकसान

मामला इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना क्रमांक 97 के भाग 4  का

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।

23 फरवरी 23 को  प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण नीरज मंडलोई ने आदेश पारित करते हुए एक बड़ी चूक को पकड़ा ,मामले में तत्समय  भूअर्जन अधिकारी एवं विधि अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी  पारित किये ! दरसअल प्रमुख सचिव  योजना 97 भाग 4 से जुड़े एक मामले में दी गयी NOC पर सुनवाई कर रहे थे ,जिसे कूटरचित और अवैधानिक मानते हुए आदेश पारित किया गया !

भोपाल संवाददाता से प्राप्त जानकारी अनुसार सुयश एक्सिम प्रा लि तर्फे अनिल कुमार डूंगरमल पोत्तदार ,कविता पति अनिल पोत्तदार द्वारा ग्राम हुकमाखेड़ी  जिला इंदौर के सर्वे क्र. 72/1  मिन 3 ,73/2  मिन 2  74 /1 मिन 1 ,74 /1/मीन 2  ,72 /1 /मिन 1  ,72 /1 /मिन 2  72 /2 /2 /मिन 2  73 /2 /मं  कुल रकबा 1.401 हेक्ट. से सम्बंधित  भूमियों को लेकर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई में उक्त आदेश पारित किया गया हे !

उपरोक्त सर्वे नंबर प्राधिकरण की योजना 97 भाग 4 का हिस्सा रहे थे , बाद में कुछ सर्वे नंबर प्राधिकरण द्वारा योजना की अधिसूचना एवं अर्जन की कार्यवाही से कम किया जा चुके थे ! ! उक्त NOC और कार्यवाही को मुख्य सचिव द्वारा यह मानते हुए की योजना के अस्तित्व को चुनौती देने वाली याचिका भी अभी सर्वोच्च न्यायलय में विचाराधीन हे , सभी भूमियां योजना में समाविष्ट थी और योजना की अधिसूचना जारी होने के बाद भूअर्जन अधिकारी ने वर्ष 2010 /11  में जो पत्र जारी किये हैं और अधिसूचना से कुछ भूमियां अर्जन की कार्यवाही  से  मुक्त की  हैं वे कूटरचित और भ्रामक हे !  

और भी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किये जा चुके हैं 

यह एकमात्र मामला नहीं जब तत्कालीन भूअर्जन अधिकारी ने प्रकरण न्यायलय में विचारधीन रहते हुए NOC जारी कर दी हे ! सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 20  से ज़यादा NOC तत्समय भूअर्जन अधिकारी द्वारा उपरोक्त योजना में  जारी की जा चुकी हैं जिसकी सर्वोच्च न्यायायलय से केस जितने के बाद जांच की जा रही हे ! प्राधिकरण अध्यक्ष खुद कह चुके हैं के जांच के बाद ये सभी NOC निरस्त की जा कर कब्ज़े की कार्यवाही की जाएगी ! ऐसा माना  जाता हे की भूमियों का अवार्ड पारित होते (अगर विधि सम्मत निरस्त नहीं किया गया हो ) ही भूमियां शासन की हो जाती हैं और उसपर निर्माण या खरीदी बिक्री अवैधानिक हो जाती हैं ! इसीलिए खुद अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा को भूमियों के भौतिक सत्यापन की बात कहना पड़ी और अब भूमियों का पुनः सर्वे  किया जा रहा हे जो की प्राधिकरण द्वारा की जाती रही गलतियों को उजागर भी कर रहा हे ! उक्त योजना में अधिकतर भूमियों पर अतिक्रमण भी किया जा चूका हे ! तेज़पुर गड़बड़ी से शुरू हो कर RRCAT तक बेशकीमती भूमि पर लागु हे योजना !  

सेवानिवृत हो चुके हैं तत्समय के भूअर्जन अधिकारी 

तत्समय भू अर्जन अधिकारी  सेवानिवृत हो चुके हैं इसलिए अब विभागीय कार्यवाही  की जाना संभव नहीं हे लेकिन विधि अनुसार  IPC की धारा 467  के तहत उनपर मामला दर्ज किया जा कर उनकी निजी सम्पती को बेच कर वसूली का विकल्प प्राधिकरण के पास अभी उपलब्ध हे  ! उलझे मामले को अवैधानिक तरीके से सुलझाना और सुलझे  मामले को अवैधानिक तरीके से उलझाने में महारथ  हासिल थी तत्समय भूअर्जन अधिकारी को !