50 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले डॉ. अजय हार्डिया पर एक और केस
50 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोपी डॉ. अजय हार्डिया के खिलाफ एक और प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने एक छात्रा की शिकायत पर डॉ. हार्डिया के खिलाफ केस दर्ज किया है। मामले में डॉ. हार्डिया अग्रिम जमानत के लिए प्रयास कर रहा है। अजय हार्डिया, मनीषा शर्मा और पुष्प वर्मा के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें हो चुकी हैं, लेकिन आरोपी अपने रसूख का इस्तेमाल कर हमेशा बचते रहै हैं।
थाना भंवरकुंआ पर मंजू तंवर के आवेदन पर किया गया प्रकरण दर्ज
द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर।
शिकायतकर्ता ने अपने आवेदन में बताया कि उसने संस्था पैरामेडिकल टेक्नोलॉजी आर्गेनाईजेशन ऑफ़ एमपी के अंतर्गत देवी अहिल्या पैरामेडिकल कॉलेज आनंद नगर चितावद इंदौर में प्रवेश लिया था। प्रथम वर्ष की परीक्षा होकर रिजल्ट भी आ गया था। प्रथम वर्ष में ही उसके अन्य साथ ही 17 विद्यार्थियों के प्रवेश पत्र रोक लिए गए थे। जब उसका द्वितीय वर्ष की परीक्षा का प्रवेश पत्र नहीं आया और प्राचार्य से संपर्क किया गया, तब प्राचार्य मनीषा शर्मा ने बताया की तुम्हारे साथ 12 अन्य विद्यार्थियों के भी प्रवेश पत्र रोक लिए गए हैं और अब न्यायलय में याचिका ही लगानी पड़ेगी।
जब उसके द्वारा सहमति दी गयी तो उसके साथ 11 अन्य विद्यार्थियों के नाम भी याचिका लगायी गयी। जो विद्यार्थी मौजूद थे, उनके हस्ताक्षर तो याचिका में ले लिए गए और जो नहीं थे उनके फर्जी हस्ताक्षर प्राचार्य द्वारा अजय हार्डिया, योगेश उपाध्याय के सामने कर दिए गए। अदालत के आदेश के बाद जैसे-तैसे परीक्षा तो दिलवा दी गयी, लेकिन रिजल्ट फिर रोक दिया गया।
ऐसे हुआ भंडाफोड़
जब इन्हीं विद्यार्थयों द्वारा म.प्र. पैरामेडिकल कौंसिल भोपाल से पड़ताल की गई, तो पता लगा कि विद्यार्थियों के नामों की सूची कभी भोपाल भेजी ही नहीं गयी और जो सूची भोपाल भेजी गयी, उसमे प्राचार्य और कॉलेज के डायरेक्टर पुष्प वर्मा और अजय हार्डिया के नाम थे। वहीं कुछ दस्तावेजों में प्राचार्य आरके बंसल का नाम मौजूद था।
फर्म्स एंड सोसाइटी में भी फ़र्ज़ीवाड़ा
देवी अहिलिया पैरामेडिकल कॉलेज जिस संस्था, पैरामेडिकल टेक्नोलॉजी आर्गेनाईजेशन ऑफ़ एमपी के तहत कार्य कर रहा है, यह संस्था भोपाल सहकारिता में पंजीबद्ध है और वहां मौजूद रिकॉर्ड भी फर्जी पेश करते हुए संस्था का पंजीयन किया गया है। अभी तक पंजीकरण के नियम व क्षेत्रों का भी पालन नहीं किया गया है, जिससे रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसाइटी भोपाल की भी भूमिका संदिग्ध होती जा रही है। नियम कहता है कि लगातार अनियमितता किये जाने पर संस्था का पंजीकरण निरस्त कर दिया जाना चाहिए, लेकिन उक्त संस्था का पंजीकरण भी अनवरत जारी है।