इंदौर में जलेगा लंपी वायरस का रावण
आज दशहरा है। इस दिन राम की रावण पर विजय के रूप में रावण का पुतला जला कर विजयदशमी मनाई जाती है। इसे कई जगह आयुध पूजा भी कहते हैं।
शहर में 100 से अधिक स्थानों पर होगा रावण दहन, चारो ओर हर्षोल्लास
नौदिवसीय शक्ति अराधना के पर्व की समाप्ति के साथ विजयादशमी की धूम
द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.
दशहरा के पूर्व आने वाले नौ दिनों में दुर्गा माँ के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है तथा विजयदशमी के दिन त्यौहार की समाप्ति होती है। इंदौर में आज दशहरे की धूम रहेगी। 100 से अधिक स्थानों पर प्रमुख रूप से रावण दहन होगा। इसके अलावा हर गली-मोहल्ले और चौराहे पर भी रावण दहन किया जाएगा।
इंदौर में इन प्रमुख स्थानों पर होगा रावण दहन
व्यंकटेश विहार चौराहा, समय: शाम 7 बजे
लम्पी वायरस रूपी विशाल रावण पर जलेगा। रिद्धि-सिद्धि गणेश मित्र मंडल के इस आयोजन में 31 फीट ऊंचे रावण का दहन किया जाएगा। साथ में गौमाता की रक्षा का संदेश और वायरस के खत्म होने की कामना की जाएगी। दहन के पूर्व श्रीराम की शोभायात्रा भी निकाली जाएगी।
श्रीकृष्ण टाकिज के सामने, रात 8.30 बजे
लंपी वायरस रूपी रावण का दहन यहां किया जाएगा। संस्था सूर्यमंच रावण दहन समिति के द्वारा श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमानजी की शोभायात्रा निकाली जाएगी। रावण का दहन महामंडलेश्वर राधे राधे बाबा वैक्सीन रूपी मशाल से करेंगे। दहन के बाद 151 किलो गिलकी के भजिये का वितरण भी होगा।
इंद्रपुरी कालोनी, दहशरा मैदान, रात 8 बजे
यहां 111 फीट ऊंचे रावण का दहन किया जाएगा। संस्था स्वराज एवं शक्ति मित्र मंडल के द्वारा दहन के पूर्व तीन घंटे तक आतिशबाजी की जाएगी। इसके अलावा 51 फीट की लंका भी यहां बनाई गई है।
अरण्य धाम के समीप, स्कीम नंबर 78, रात 8 बजे
इस बार 51 फीट ऊंचे रावण का दहन होगा। क्रायसिस मैनेजमेंट समिति वार्ड 32 के अनुसार रावण दहन तकनीक की मदद से किया जाएगा। अतिथि मंच से ही बटन दबाकर रावण दहन करेंगे।
होलकरों का विशाल चल समारोह
होलकर राजवंश की गौरवशाली परंपरा के तहत सरदार प्रतापसिंहराव होलकर के आड़ा बाजार स्थित हवेली से विशाल चल समारोह निकाला जाएगा, जो दशहरा मैदान पर खत्म होगा। देवी अहिल्याबाई होलकर गादी रक्षण समिति के तत्वावधान में यह चल समारोह दोपहर 3 बजे निकलेगा। चल समारोह गोपाल मंदिर, बडा सराफा, मरोठिया बाजार, नृसिंह बाजार, महूनाका होते हुए दशहरा मैदान पहुंचेगा, जहां उदयसिंहराव होलकर शमी पूजन करेंगे।
चल समारोह में भगवान महारूद्र देवता, कुलस्वामी मल्हारीमार्तण्ड व देवी अहिल्या बाई की प्रतिमा पालकी में होगी। साथ ही होलकर राज्य के निशान, शस्त्र (राज्य ध्वज), अश्व, भोपे ताफे, छत्र, चंवर, अब्दागिरी आदि भी शामिल होंगे। राजवाड़े स्थित मल्हारी मार्तण्ड देव स्थान पर शाम 4 बजे भण्डारा होगा।
क्या है दशहरे का महत्व
यह माना जाता है कि इस दिन भगवान राम ने राक्षस रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से छुड़ाया था और सारा समाज भयमुक्त हुआ था। रावण को मारने से पूर्व राम ने देवी दुर्गा की आराधना की थी। मां दुर्गा ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें विजय का वरदान दिया था। इस अवसर पर रामलीला का आयोजन किया जाता है तथा बुराई पर अच्छाई के प्रतीक स्वरूप रावण के बड़े बड़े पुतले बनाए जाते हैं तथा तथा उन्हें जलाया जाता है। इसके साथ ही आतिशबाजियां छोड़ी जाती हैं।
शस्त्र पूजन का भी है रिवाज
विजयदशमी के दिन घरों में अथवा संस्थाओं में शस्त्र पूजा की जाती है, ताकि शस्त्रबल में वृद्धि हो तथा संकट के समय ये शस्त्र रक्षा हेतु काम आए। कुछ लोगों का मत है कि यह कृषि उत्सव है। किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति घर लाता है। इसी उल्लास में भगवान की पूजा करता है।
मैसूर का दशहरा है मशहूर
देश के हर प्रांत में यह त्यौहार विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। पर मैसूर के दशहरा पर्व की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है। विजयदशमी के अवसर पर शहर को फूलों, दीपों एवं बिजली के बल्बों से सजाया जाता है, जिसकी रौनक देखते बनती है। मैसूर महल को भी सजाया जाता है तथा विजयदशमी के दिन सुसज्जित हथियों की शोभायात्रा निकली जाती।
यह है दशहरा का संदेश
दशहरा में दस का अर्थ पाँच कर्मेन्द्रियों तथा पाँच ज्ञानेन्द्रियों से हैं। इन इंद्रियों पर जीत हासिल कर हमें अपनी शक्ति और क्षमताओं पर विजय हासिल करना चाहिए। अतः विजयदशमी का मुख्य संदेश है खुद पर नियंत्रण करना है।