शकुंतला देवी अस्पताल में मरीज को बनाया बंधक
मेडिक्लेम नहीं पास होने की वजह से बिल देने में असमर्थ मरीज को बनाया बंधक
द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर
4 दिन पूर्व देवेंद्र सिंह राजपूत (राजगढ़ ) जिन्हें पैर में एक छोटी सी गठान थी उसके इलाज के लिए वह शकुंतला देवी अस्पताल में भर्ती हुआ ! भर्ती होने के समय उसने अपने मेडिक्लेम के बारे में अस्पताल के बिलिंग सेक्शन को पूर्ण रूप से सूचित भी कर दिया अस्पताल वालों ने भी उससे सारे कागज लेकर उसे आश्वस्त किया उसका मेडिक्लेम पास हो जाएगा और उसका ऑपरेशन कर दिया गया ! जब शकुंतला देवी अस्पताल ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस ( पालिसी न. ००००००००२८९९३८७८ ) मैं उसका क्लेम भेजा वहां से क्लेम रिजेक्ट होकर वापस आ गया ! जब मरीज ने और उसके परिजनों ने बिल देने में अपनी असमर्थता जताई तो शकुंतला देवी अस्पताल के प्रबंधन ने मरीज के पास दो सिक्योरिटी गार्ड बिठाकर उसे बंधक बना लिया ! अब उससे ₹40000 से ऊपर राशि की मांग की जा रही है और और कहां जा रहा है जब तक राशि जमा नहीं होगी हम मरीज को नहीं छोड़ेंगे !
यह कोई पहला मामला नहीं है जब अस्पतालों द्वारा इस तरह का आचरण मरीजों के साथ किया जा रहा हे , बेलगाम हो चुके अस्पतालों पर जिला प्रशासन और राज्य शासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही हे ! महामारी के दौरान भी इन्हीं अस्पतालों ने अत्यधिक राशि मरीजों से ली और काफी मोटी धनराशि एकत्रित कर ली !
ऐसा नहीं हे की जिला प्रशासन ऐसे आचरण पर कोई कारवाही नहीं कर सकता ,कानून में पुरे प्रावधान अस्पतालों पर लगाम कसने के पहले से ही मौजूद हे लेकिन कारवाही नहीं करना कई अहम् सवालों को जन्म दे रहा हे ! वर्ष २०१६ में देवेश सिंह चौहान एवं अन्य के मामले में दिल्ली न्यायलय ने कड़ी फटकार अस्पताल प्रबंधन को लगाई थी और इस पारकर के आचरण को तत्काल बन्द करने को कहा था जिसके बाद अस्पताल द्वारा पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाने लगा ! ऐसा ही एक मामला अभी हाल ही में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हुवा जिससे परेशां हो कर मरीज द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री को लिखा गया और तत्काल उसका सम्पूर्ण राशि का क्लेम पास भी हुवा !
अगर प्रक्रिया की बात की जाये तो हर अस्पताल को पहले इन्शुरन्स कंपनी से पूरी पड़ताल करने के बाद ही मरीज का इलाज शुरू किया जाना चाहिए लेकिन इन्शुरन्स कंपनियों द्वारा कभी तत्काल जवाब नहीं दिया जाता हे जिस कारन अस्पताल इस प्रक्रिया को नहीं अपनाते हैं वहीँ कई अस्पताल तो मेडिक्लेम स्वीकार ही नहीं करते हैं ! हर अस्पताल में मेडिक्लेम अनिवार्य करने की मांग लगातार उठती रही हे लेकिन इस और शासन प्रशासन का कोई ध्यान नहीं हे और अस्पताल बेलगाम होते जा रहे हैं !