न्याय नगर एक्सटेंशन में जहां कब्जा दिलाने जा रहा है प्रशासन, उस जमीन पर कोर्ट केस
भूमाफिया अभियान में इंदौर जिला प्रशासन बुधवार को न्याय नगर एक्सटेंशन के सेक्टर ए और बी में प्लॉटों के कब्जे देने जा रहा है। अभियान के उत्साह में प्रशासन के अधिकारी न्यायालय को भी नजरअंदाज करने लगे हैं। क्योंकि जिन दो सेक्टरों में कब्जे देने की बात की जा रही है, उसमें जमीन के एक टुकड़े का केस कोर्ट में चल रहा है। जमीन मालिका का आरोप है कि संस्था ने उनकी जमीन की फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवा ली।
· जिला प्रशासन ने की घोषणा, बुधवार को सेक्टर ए और बी में बांटेगा प्लॉट
· भूमाफिया अभियान के उत्साह में न्यायालय को भी नजर अंदाज करने लगे अफसर
द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.
इसको लेकर मंगलवार को जमीन मालिकों की तरफ से कलेक्टर को भी शिकायत कर उनकी जमीन पर कब्जा न देने की मांग की गई है। मंगलवार 30 मार्च को जैतूनबाई पति नादर और उसके बेटों बाबू, एहसान, यासीन, लतीफ, उस्मान, दिलावर के साथ दुलेशा उर्फ जुली पति मंसूर और उसके बेटों सादिक, जहांगीर उर्फ शाकिर सभी निवासी खजराना ने कलेक्टर को एक आवेदन दिया। इसमें लिखा है कि खजराना की सर्वे नंबर 73/1 जमीन, जिसका रकबा 0.615 हेक्टेयर है, उन लोगों के संयुक्त स्वामित्व की है। जमीन उनकी पैतृक है और राजस्व अभिलेखो में भूमि स्वामी के रूप में उन लोगों का नाम आज भी दर्ज है।
पिता की मौत के बाद करवाई रजिस्ट्री
जमीन मालिकों का कहना है कि जमीन उनके पिता हाजी नादर पिता दरवेश पटेल के नाम पर थी। नादर की मृत्यू 22 नवंबर 1995 को हो गई। उनकी मृत्यू के बाद राजस्व अभिलेखों में उन लोगों का नाम दर्ज हो गया। न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था के संचालकों ने 23 जनवरी 1998 को कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नादर के नाम से जमीन की रजिस्ट्री संस्था के पक्ष में करवा ली। रजिस्ट्री नादर के मुख्त्यारनाम से करवाई जाना बताई गई, जबकि रजिस्ट्री होने के ढाई साल पहले ही उनकी मृत्यू हो चुकी थी।
नादर ने किसी को भी आम मुख्त्यार नियुक्त नहीं किया था। वैधानिक तथ्य है कि किसी भी व्यक्ति के निधन के पश्चात कोई भी मुखत्यारनामा प्रभावशून्य हो जाता है। ऐसे तथाकथित मुखत्यारनामे के आधार से किसी भी व्यक्ति को कोई कार्यवाही करने का वैधानिक अधिकार नहीं रहता है। उक्त जमीन पर संस्था का कोई अधिकार नहीं है।
कोर्ट में लगा रखा है केस
जमीन मालिकों ने कलेक्टर के सामने तथ्य रखे कि संस्था के कर्ता-धर्ताओं के द्वारा उक्त भूमि का जो फर्जी व कूटरचित विक्रयपत्र बनाया गया है, उसे प्रभावशून्य घोषित करने के लिए उन लोगों ने व्यवहार न्यायालय के सामने वाद क्रमांक 8 ए/2015 लगा रखा है। यह वाद व्यवहार न्यायाधीश महोदय, वर्ग-1, इन्दौर के समक्ष लम्बित है। प्रकरण की अगली पेशी 16 अप्रैल 2021 को नियत है।
विधि विरुद्ध है आवंटन
जमीन मालिकों का कहना है कि संस्था का जमीन पर कोई अधिकार नहीं है। इसके बाद भी संस्था के कर्ता-धर्ता वैधानिक प्रक्रिया अपनाए बिना जमीन को अपने तथाकथित सदस्यों को अवैध रूप से आविंटत करने जा रहे हैं, जो पूरी तरह से विधि विपरीत है।
रोकी जाए आवंटन की कार्रवाई
न्याय नगर एक्सटेंशन में बुधवार को होने वाली आवंटन की कार्रवाई न्यायहित में रोका जाना जरूरी है। न्यायालय के फैसले के पहले वादग्रस्त जमीन का आवंटन किसी को नहीं किया जाए। नहीं तो फैसला आने के बाद विसंगतिपूर्ण स्थिति बनेगी। संस्था के कर्ता-धर्ताओं के खिलाफ छलकपट व कूटरचना के लिए कड़ी दण्डात्मक कार्यवाही किया जाना चाहिए।