अवैध से वैध हुई कॉलोनियों में खरीदी-बिक्री से पहले निगम एनओसी जरूरी

इंदौर में अवैध से वैध होने वाली कॉलोनियों में भूखंडों या भवनों की खरीद-फरोख्त पर किसी तरह की रोक नहीं है, लेकिन खरीद-फरोख्त के पहले नगर निगम से एनओसी ली जाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसको लेकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मध्यप्रदेश नगरपालिका (कॉलोनी) विकास अधिनियम 2021 में संशोधन किया है। जिसके बाद नगर निगम ने गाइड लाइन जारी कर दी।

अवैध से वैध हुई कॉलोनियों में खरीदी-बिक्री से पहले निगम एनओसी जरूरी
Illegal Colony

कॉलोनाईजरों और भूमाफियाओं की दखल रोकने के लिए नगर निगम का फैसला

राज्य शासन के नोटिफिकेशन के बाद नगर निगम इंदौर ने जारी की गाइड लाइन

द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर।

सूचना एवं प्रौद्योगिक प्रभारी राजेश उदावत ने बताया कि नगर निगम सीमा क्षेत्र में अवैध से वैध हुई कालोनियों में कॉलोनाइजर खुली भूमि को आम नागरिकों को बेच ना सके, इस हेतु नियमों में ऐसी कालोनियों में भूखंड या भवनों के क्रय-विक्रय से पूर्व नगर निगम से अनापत्ति पत्र लिया जाना अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि कॉलोनाइजर आम नागरिकों से धोखाधड़ी कर खुली भूमि भूखंड बताकर बेच ना सके।

नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अधिनियम में जो संशोधन किया है, उसके अनुसार अवैध से वैध हुई कॉलोनियों की लिस्ट जारी होने के बाद इस लिस्ट में शामिल सभी कॉलोनियों में यदि किसी भी भवन या प्लॉट की खरीदी-बिक्री होती है, उसके लिए स्थानीय निकाय से एनओसी ली जाना आवश्यक है। इसको लेकर पंजीयन कार्यालय पर भी पत्र दिया गया है कि नगरीय निकाय की एनओसी के बिना इन कॉलोनियों में किसी भी प्रकार के पंजीयन दस्तावेज के रजिस्ट्रीकरण की कार्रवाई न की जाए।

आम नागरिकों को मिलेगी सुविधा

आम नागरिकों को भूखंड क्रय विक्रय हेतु नगर निगम कॉलोनी सेल से एनओसी उपलब्ध कराई जाएगी, इसमें किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी। प्रभारी श्री उदावत ने बताया कि तथाकथित व्यक्ति द्वारा शासन की अवैध से वैध हूई कॉलोनी के नियमितीकरण के संबंध में भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है कि इंदौर में अवैध से वैध हुई कॉलोनी में प्लॉट या मकान की खरीदी ना करें, यह गलत भ्रामक और तथ्यों के विपरीत जानकारी है। खरीदी-बिक्री पर रोक नहीं लगाई है, अपितु एनओसी ली जाना अनिवार्य किया गया है।

अधिनियम में ये भी किए गए प्रावधान

  • अवैध कॉलोनी विकसित करने वालों की संपत्तियों की चिन्हांकन कर उन्हें कुर्क किया जाएगा। इन संपत्तियों को बेचकर संबंधित कॉलोनी का विकास किया जाएगा।
  • कॉलोनी विकास के लिए नगर निगम लागत का आकलन कर उसे विकास शुल्क के रूप में कॉलोनी के रहवासियों से वसूलेगा। इसके लिए समय सीमा तय होगी।
  • विकास शुल्क ईडब्यूएस वालों से 20 फीसदी और अन्य भूखंड धारकों से 50 फीसदी लिया जाएगा। बिल्डिंग परमिशन लेने या संपत्ति बेचते समय विकास शुल्क लिया जाएगा।
  • कॉलोनी में खाली भूखंडों की बिक्री के लिए गाइड लाइन तय की जाएगी। इसी गाइड लाइन के अनुसार खाली भूखंडों की खरीदी-बिक्री की जाएगी।
  • विकास शुल्क वसूली की जिम्मेदारी कॉलोनी के रहवासी संघों की भी होगी। हालांकि विकास शुल्क दो साल की किस्तों में जमा करने की भी सुविधा मिलेगी।