नहाय-खाय' से छठ महापर्व शुरू; आज खरना

कोरोना के घटते प्रकोप के बीच छठ महोत्सव की धूम इस बार देशभर के साथ मालवांचल में भी है। इंदौर में भी छठ महोत्सव के आयोजन के लिए उत्साह चरम पर है। सोमवार से शुरू हुआ यह महापर्व गुरुवार को सूर्य को अर्घ्य देने के साथ खत्म होगा।

नहाय-खाय' से छठ महापर्व शुरू; आज खरना
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मालवांचल में छट महापर्व का उत्साह चरम पर, इस साल धूमधाम से मनेगा पर्व

कोरोना के घटते प्रकोप के बीच घाटों की साफ-सफाई के साथ तैयारियां जोरों पर

द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.

सोमवार को 'नहाय-खाय' के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व पूरे देश के साथ मालवांचल में भी आरंभ हो गया। छठ व्रतधारियों ने इस अवसर पर पूर्ण धार्मिक पवित्रता एवं निष्ठा के साथ अपने- अपने घरों की सफाई कर, स्नान किया। तत्पश्चात पूर्ण पवित्रता के साथ घर में बने शुद्ध शाकाहारी कद्दू, चने की दाल, चावल एवं अन्य शाकाहारी पदार्थों से बना भोजन ग्रहण किया।

पहले दिन की पूजा के बाद से ही व्रतियों द्वारा नमक का त्याग कर दिया जाता है। छठ पर्व के दूसरे दिन मंगलवार (9 नवंबर) को खरना मनाया गया। इस दिन दिन भर व्रत रख कर शाम को मिटटी के बने चूल्हे पर शाम को गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी का प्रसाद भगवान सूर्य को भोग लगाया गया और फिर इस प्रसाद को ग्रहण किया। इसके बाद उनका 36 घंटे के निर्जला उपवास शुरू हुआ।

गुरुवार को होगा समापन

छठ पर्व के तीसरे दिन यानी 1 0 नवंबर (बुधवार) को अस्ताचलगमी सूर्य को व्रतधारियों द्वारा जलकुण्ड में खड़े रह कर अर्घ्य दिया जाएगा तथा छठ महापर्व का समापन 11 नवंबर (गुरुवार) को व्रतियों द्वारा उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने के पश्चात होगा। प्रसाद के रूप में सूर्य भगवान् को विशेष प्रकार का पकवान 'ठेकुवा' और मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं तथा उन्हें दूध एवं जल से अर्घ्य दिया जाता है।

इस बार धूमधाम से मनेगा छठ पर्व

कोरोना के घटते प्रकोप के बीच शहर के पूर्वोत्तर समाज के लोगों में छठ महापर्व का उत्साह दो सालों के पश्चात के बार फिर चरम पर है।  समाजजन उसी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ छठ महापर्व की तैयारियों में लगे हैं। शहर के सभी छठ घाटों की साफ़ सफाई लगभग पूर्ण हो चुकी है। छठ पूजा आयोजन समिति के पदाधिकारी स्थानीय प्रशासन की अनुमति से सामाजिक दूरी एवं अन्य कोरोना गाइड लाइन का अनुपालन करते हुए पिपलियाहाना जैसे कुछ जलाशयों तथा कृत्रिम जलकुण्डों में सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे।