महाशिवरात्रि पर्व पर किया गया वृक्ष शिव चालीसा का लोकार्पण

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान। “वृक्ष शिव चालीसा” विश्व का पहला अनुठा प्रयास इन्दौर सिंगापुर ब्रिटिश पार्क फेस2 में किया गया।

महाशिवरात्रि पर्व पर किया गया वृक्ष शिव चालीसा का लोकार्पण
Vriksha Chalisa

ब्रिटिश पार्क फेस-2 में किया गया शिव चालीसा के दोहे, चौपाई की संख्या अनुसार वृक्षारोपण

द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.

सृष्टि सेवा संकल्प के नेतृत्व और वृक्षारोपण के क्षेत्र में किये जा रहें प्रयासों से प्रेरित होकर ब्रिटिश पार्क फेस 2 के रहवासियों ने शिव चालीसा के दोहे, चौपाई की संख्या अनुसार वृक्षारोपण किया और प्रत्येक वृक्ष के पास एक दोहा, एक चौपाई भी अंकित की।

“वृक्ष शिव चालीसा” का अनावरण निर्मोही अखाड़ा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व बुंदेलखंड पीठाधीश्वर श्रीमहंत सीतारामदास जी महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री प्रमोद झा के कर कमलों द्वारा विशिष्ट अतिथि सृष्टि सेवा संकल्प के मार्गदर्शक प्रशांत जी गुप्ता सहित श्री मनकामेश्वर महादेव मंदिर समिति व ब्रिटिश पार्क फेस टू के रहवासियों सहित विभिन्न जनप्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया।

राशि के अनुसार लगाएं वृक्ष

परमपूज्य महाराज जी ने वृक्षों की महिमा बताते हुए कहा कि हम सभी को अपनी राशि, गृह, नक्षत्र के अनुसार भी पेड़ लगाना चाहिए। अपने जन्मदिन, विवाह वर्षगाँठ, स्मृतिदिवस व अन्य शुभ अवसरों पर कम से कम एक पेड़ अवश्य लगायें।वृक्ष धरा का आभूषण है अतः वृक्षों से अपनी धरती माता को शृंगारित करें।

इसी तरह हिन्दू धर्म में प्रकृति के सभी तत्वों की पूजा और प्रार्थना का प्रचलन और महत्व है, क्योंकि हिन्दू धर्म मानता है कि

प्रकृति ही ईश्वर की पहली प्रतिनिधि है। प्रकृति के सारे तत्व ईश्वर के होने की सूचना देते हैं इसीलिए प्रकृति को भगवती, दैवीय और पितृ सत्ता माना गया है। हिन्दू धर्म का वृक्ष से गहरा नाता है। हिन्दू धर्म को वृक्षों का धर्म कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ब्रह्मांड को उल्टे वृक्ष की संज्ञा दी गई है। पहले यह ब्रह्मांड बीज रूप में था और अब यह वृक्ष रूप में दिखाई देता है। प्रलयकाल में यह पुन: बीज रूप में हो जाएगा।

पीपल में सभी देवों का वास

महाराज जी ने कहा कि अक्सर आपने देखा होगा कि पीपल और वटवृक्ष की परिक्रमा का विधान है। स्कंद पुराण में वर्णित पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का वास है। पीपल की छाया में ऑक्सीजन से भरपूर आरोग्यवर्धक वातावरण निर्मित होता है। इस वातावरण से वात, पित्त और कफ का शमन-नियमन होता है तथा तीनों स्थितियों का संतुलन भी बना रहता है। इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।

घर के वास्तुदोष से मुक्ति का सबसे सरल उपाय है घर के आसपास वृक्षों को लगाना। किसी ज्योतिष और वास्तु के जानकार से पूछकर घर के आसपास ऐसे वृक्ष लगाएं, जो आपके घर की ऊर्जा को बदलकर वास्तुदोष का निवारण कर दे।

अन्य देवों के नाम भी करें प्रयास

कार्यक्रम के समापन पर श्री प्रशांत गुप्ता ने कहा कि हम सब पर्यावरण की विकट चुनौती का सामना कर रहे है, जो हमारे ही ग़ैर अनुशासित क्रियाकलापों का परिणाम है। अतः इस चुनौती के निवारण हेतु “सृष्टि सेवा संकल्प” संगठन समाज सहयोग के विभिन्न प्रयासों द्वारा वृक्षारोपण अधिक से अधिक हो इसके लिए प्रयासरत हैं। इसी निमित्त धार्मिक भावनाओं को ध्यान रखते हुए “वृक्ष शिव चालीसा” का एक अनूठा प्रयास सृष्टि सेवा संकल्प, इकाई सिंगापुर ब्रिटिश पार्क फ़ेस-2 द्वारा मनकामेश्वर मंदिर समिति, रहवासी परिवार व ग्राम पंचायत ढाबली के सहयोग से सम्पन्न हुआ। इसी प्रकार हम अन्य मंदिरों में भी वृक्ष हनुमान चालीसा, वृक्ष दुर्गा चालीसा, वृक्ष सुंदरकांड, वृक्ष माला आदि भी बना सकते है।

                                                                             खजराना में भी रही शिवरात्रि की धूम 
इंदौर के आध्यात्मिक महत्व रखने वाली खजराना की धरा पर भी शिवरात्रि की अछि खासी धूम रही ,खजराना तालाब किनारे सिद्ध मनकामनेश्वर मंदिर में हज़ारों श्रधालुंओं ने बाबा भोले के दर्शन करे और प्रसादी ग्रहण करी ! मनकामनेश्वर बाबा को बाबा महाकाल के रूप में सजाया गया था और उनकी अलौकिक छटा देखते ही बनती थी !