इंदौर की सेटेलाईट हिल्स कालोनी में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा
अपर कलेक्टर ने सेटेलाईट हिल्स कालोनी की भूमि को विधि के विरूद्ध बैंकों द्वारा बैंक में बंधक रखे जाने पर तीन बैंकों के प्रबंधकों को नोटिस जारी किये गये हैं।
प्लॉट बिकने के बाद भी बैंकों ने कॉलोनी की जमीन रख ली थी गिरवी
इंदौर जिला प्रशासन ने तीन बैंकों के मैनजरों नोटिस देकर मांगा जवाब
द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.
अपर कलेक्टर एवं अपर जिला दण्डाधिकारी अभय बेड़ेकर ने यूनियन बैंक मुख्य शाखा एमजी रोड, पंजाब नेशनल बैंक मनोरमागंज और यूको बैंक न्यू पलासिया शाखा के मुख्य प्रबंधकों को उक्त के संबंध में अभिलेख सहित अपना जवाब 21 फरवरी तक देने को कहा है।
जारी नोटिस अनुसार मे. नारायण निर्यात इंडिया प्रा. लि. को प्रदत्त 110.50 करोड़ के ऋण खाते की सुरक्षा हेतु मे. एवलांच रियलटी प्रा. लि. की ओर से संचालक कैलाश पिता बापूलालजी गर्ग द्वारा सेटेलाईट हिल्स कालोनी की भूमि सर्वे क्र. 111, 112, 14/1/1, 114/2, 123, 124, 125, 130/3, 130/4, 138, 58/1, 140/1, 140/2, 215/1/1, 215/1/2, 215/1/3, 215/1/4 को विभिन्न अनुमतियां प्राप्त कर पूर्व से भूखण्डों के रूप में विभाजित कर विक्रय कर दिये जाने के बावजूद विधि के विरुद्ध बैंक में बंधक रखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई
सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने तीन कॉलोनियों कालिंदी गोल्ड सिटी, सैटेलाईट हिल्स और फोनिक्स टाउनशिप के भूखण्डधारियों को समस्याओं को सुनकर हल करने के संबंध में निर्देश दिए। अपर कलेक्टर ने नोटिस में कहा कि बैंको द्वारा फोनिक्स कॉलोनी की गिरवी रखी गई जमीनों के कारण फायनल सेटलमेंट एग्रीमेंट में दिक्कत आने की संभावना है।
प्लॉटों की हो चुकी थीं रजिस्ट्रियां
गिरवी रखी गई जमीनों के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी यह है कि ग्राम नायता मुंडला तहसील एवं जिला इंदौर के पटवारी हल्का नंबर 13 (नया नंबर 66) पर स्थित विभिन्न सर्वे क्रमांकों में कुल रकबा 37.460 हेक्टेयर भूमि पर मे. एवलांच रियलटी प्रा. लि. द्वारा सेटेलाईट हिल्स नामक कालोनी का विकास किया जाकर प्लॉट बेचकर खरीदारों के पक्ष में रजिस्ट्रियां भी कर दी गईं।
बिके प्लॉटों को गिरवी रख दिया
शिकायतों की जांच में सामने आया कि प्लॉट बेचने के बाद 7 जनवरी 2011 को एवलांच रियलटी प्रा. लि. कंपनी की ओर से संचालक कैलाश गर्ग एवं सुरेश गर्ग ने अपनी सहयोगी कंपनी नारायण निर्यात इंडिया लि. के ऋण खाते की सुरक्षा के बतौर कालोनी की भूमि में से विभिन्न सर्वे क्रमांक की भूमि को बैंकों के पास बंधक रखा। बैंकों ने भी प्लॉट बिकने के तथ्यों को अनदेखा कर जमीन को गिरवी रख लिया।
प्लॉट धारकों की आपत्ति भी नहीं सुनी
नोटिस में कहा गया है कि बैंकों द्वारा उक्त भूमि को बंधक रखते समय अधिवक्ता के माध्यम से स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित जाहिर सूचना के प्रत्युत्तर में विभिन्न भूखण्ड धारकों द्वारा अपनी आपत्तियां प्रस्तुत की गई थीं, परंतु बैंकों द्वारा उक्त समस्त आपत्तियों को दरकिनार कर उक्त भूमि को बंधक रखा गया है। भूमि को तीनों बैंकों के कन्सोरटियम द्वारा हेड ऑफिस कमेटी के समक्ष रख स्वीकृत कराया गया है। इसलिये तीनों बैंकों के तत्कालीन अधिकारियों से स्पष्टीकरण आवश्यक है।
सरफासी एक्ट में लगा दिया केस
हालांकि इस संबंध में मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया लिमिटेड के विरूद्ध बैंकों द्वारा सरफासी का प्रकरण अपर जिला दण्डाधिकारी न्यायालय इंदौर में प्रस्तुत किया गया था, जो कि खारिज किया गया। इसके बाद भी बैंकों द्वारा भूमि के विभिन्न सर्वे क्रमांकों के संबंध में समाचार पत्र में विज्ञप्ति जारी की गई, जबकि बैंक के पास उक्त भूमि का सरफासी एक्ट अंतर्गत धारा 13 (2) का सांकेतिक कब्जा होकर मौके पर कब्जा है ही नहीं।
21 फरवरी तक देना है जवाब
जब तक बैंकों द्वारा स्थिति स्पष्ट नहीं की जाएगी तब तक फायनल सेटलमेंट एग्रीमेंट किया जाकर भूखण्डधारकों को भूखण्ड दिलवाने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा एवं सर्वोच्च न्यायालय में उत्तर प्रस्तुत करने में भी कठिनाई होगी और ऐसी स्थिति में बैंकों के विरूद्ध विधि सम्मत कार्यवाही की जाएगी। इसलिये उपरोक्त तीनों बैंकों के मुख्य प्रबंधकों को अभिलेख सहित अपना जवाब 21 फरवरी को दोपहर 3 बजे तक समक्ष में उपस्थित होकर देना है।