दिलीप मुकाती अध्यक्ष ,वरदराज ज़मींदार मंत्री निर्वाचित

भारतीय किसान संघ इंदौर महानगर का त्रिवर्षीय निर्वाचन भारतीय किसान संघ कार्यालय, रामबाग इंदौर में संपन्न हुआ.

दिलीप मुकाती अध्यक्ष ,वरदराज ज़मींदार मंत्री निर्वाचित

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर 

पुरानी महानगर कार्यकारिणी को भंग  कर सर्वसम्मति से नई कार्यकारिणी का गठन किया गया. कार्यक्रम में मालवा प्रांत के संगठन मंत्री अतुल जी महेश्वरी विशेष रूप से मौजूद रहे !  मालवा प्रांत की महिला संयोजिका वैशाली  मालवीय, प्रांत कोषाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण  पटेल, प्रांत जैविक प्रमुख आनंद  ठाकुर, जिला अध्यक्ष कृष्णपाल  राठौड़,जिला मंत्री धर्मेंद्र  चौधरी, महानगर प्रभारी व जिला कोषाध्यक्ष सुनील  राठौड़, व अन्य पदाधिकारी मौजूद थे !

सर्वसम्मति से पुनः दिलीप  मुकाती को महानगर अध्यक्ष, ऒर वरदराज  जमींदार को मंत्री के दायित्व के लिए चुना गया !तत्पश्चात अध्यक्ष और मंत्री की सहमति से शेष नगर कार्यकारिणी की घोषणा की गई,जिसमे महिला संयोजिका - श्रीमत प्रीति खंडेलवाल ,महिला सःसंयोजिका  श्रीमती किरण  गाडवे, उपाध्यक्ष प्रकाश जोशी, आशीष प्रजापत,सह मंत्री -राजेश  जोशी,युवा वाहिनी संयोजक- जयदीप  पाटीदार, प्रचार प्रसार प्रमुख- विजय  पाटीदार,जैविक प्रमुख  माधव  गुरु मनोनीत हुए ! 

कृषि योग्य भूमि और कृषि को उद्योग का दर्जा दिलवाने के लिए लगातार संघर्ष शील रहे दिलीप मुकाती से एक्सपोज़ लाइव की विशेष बातचीत के अंश :

एक्सपोज़ लाइव : आप लगातार कृषि भूमि को बचाने की बात करते रहे हैं ,लेकिन विकास के लिए भूमि की आवशयकता भी तो होती हे ?

दिलीप मुकाती : विकास का हमने कभी विरोध नहीं किया ,हमारा विरोध शहर के आसपास गावों में हो रहे शहरीकरण का विरोध हे जिससे न सिर्फ कृषि उद्योग ख़त्म हो रहा हे बल्कि किसान भी बेरोज़गार हो कर मज़दूरी करने पर मजबूर होने लगे हैं ! हमने लगातार मांग करी हे और अब योजनाबद्ध तरीके से हर मंच पर गावों के अलग मास्टर प्लान की मांग रखी जाएगी ,ज़रूरत पड़ी तो विशेषज्ञों की राय ले कर बड़े स्तर रिपोर्ट बना कर सरकार को भेजी जाएगी ! 

एक्सपोज़ लाइव : आज शहर महानगर बनने की कगार पर खड़ा हे ,कृषि क्या इसमें व्यवधान पैदा नहीं करेगी,लोगों को रहने के लिए मकान ,सड़क की भी तो ज़रूरत है ?

दिलीप मुकाती : कृषि मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता हे ,मकान सड़क भी ज़रूरी हे लेकिन कृषि भूमि का अधिग्रहण सीमेंट के जंगल बनाने के लिए करना क्या मानव जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं हे ? सरकारी आंकड़ों के मान से भारत की 65 % जनता आज कृषि पर निर्भर हे लेकिन किसान संघ का मानना हे देश की 100 % जनसँख्या आज कृषि पर निर्भर हे ,किसी भी उद्योग को दस दिन बंद कर दीजिए  फर्क खास नहीं होगा लेकिन कृषि उत्पाद की आपूर्ति मात्र २४ घंटे बंद कर दी जाए तो हाहाकार मच जायेगा ,सरकारों को अब यह समझना होगा और कृषि उद्योग को  गंभीरता से लेना होगा ,भारत की अर्थव्यस्था में कृषि का कितना बड़ा योगदान हे यह आप भी भलीभांति जानते हैं ,पर्यावरण की देखभाल जितनी एक किसान अच्छे से कर रहा हे ये भी सर्विदित सत्य हे ,खाद्यान संकट को ले कर आज हर मंच पर से आंकड़े प्रकाशित हैं ,ज़रा सी महंगाई बढ़ जाती हे तो हाहाकार मच जाता हे ,इसको नियंत्रित करने में कृषि का योगदान क्या हे इसको आपको भी समझने की ज़रूरत हे ! कृषि उद्योग को नष्ट करके आप कितने व्यवसाय नष्ट करेंगे ये आप खुद समझ लीजिये ,कृषि उत्पाद से कितने उद्योग फलफूल रहें हैं इन्हे भी तो समझना होगा ! सिर्फ कृषि को ख़तम कर मकान ,सड़क का निर्माण करना सिर्फ कृषि ही नहीं मानव प्रजाति के साथ भी तो धोखा हे ! किसान संघ हमेशा बंजर भूमियां पर उद्योग लगाने का पक्षधर रहा हे ,अगर ऐसा होता हे तो न सिर्फ उस क्षेत्र का विकास  होगा बल्कि शहरों की तरफ पलायन भी थमेगा  और शहरों में भीड़ भी कम होगी ! 

एक्सपोज़ लाइव : आप अक्सर विकास प्राधिकरण को भंग करने के मांग करते रहे हैं ,जबकि सरकार विकास का पर्याय प्राधिकरणों को ही मान रही हैं 

दिलीप मुकाती : पुरे प्रदेश में प्राधिकरणों का गठन मास्टर प्लान को लागु करने के लिए हुआ था ,धीरे धीरे सरकारी कॉलोनाइजर का रूप प्राधिकरणों ने ले लिया ,उनकी कार्यशैली कैसी रही हे यह बात सम्पूर्ण मीडिया जगत भी जान चूका हे ! भूमियों का अधिग्रहण कर लेना ,वर्षों तक उस पर विकास नहीं करना ,फिर किसानों की ज़मीनों को भूमाफियों की गोद में डाल देना ,प्राधिकरण की अब यही निति बन चुकी हे ,दशकों से किसान मुआवज़े के लिए न्यायालीन लड़ाई लड़ रहे हैं ,न्यायालीन लड़ाई में कितनी राशि खर्च होती हे ,पीढ़ियां खप जाती हे ,लेकिन प्राधिकरण को इसका कोई  दर्द नहीं होता , न्यायालीन खर्च का कोई हिसाब किताब वहां नहीं होता क्यंकि पैसा सरकारी हे ,उनका प्रयास रहता हे जितना लम्बा खिंच सको खींचो ! हमारी मांग रही हे और अब पुरज़ोर मांग की जाएगी ! पश्चिमी देश विशेषकर अमेरिका में प्रति व्यक्ति 225 एकड़ कृषि भूमि हे वहीँ भारत में यह घट कर 2.5 एकड़ ही बची हे ,अमेरिका जैसा विकसित  देश आज कृषि भूमि को बचाने में अग्रसर हे और vertical (खड़ा) विकास कर रहा हे ,लेकिन भारत में आज भी होरिजेंटल विकास किया जा रहा हे ! 

एक्सपोज़ लाइव : फसल बिमा ,क़्वालिटी बीज ,सिंचाई ,मंडी से जुड़े भी तो मुद्दे हैं 

दिलीप मुक़ाति : समय समय पर हमने गलत बातों का विरोध किया हे ,कई मुद्दों पर सरकार ने नीतियों में सुधार भी किया हे ,पिछले वर्ष बड़ी संख्या में किसान संघ ने पहले भोपाल फिर दिल्ली में किसानों की मांग सरकार के सामने रखी थी ! कुछ मांगों को मान लिया गया लेकिन अभी भी कई कमियां हे जिसको ले कर वरिष्ठों के साथ जल्द ही मंत्रणा कर आगामी रणनीति बनाई जाएगी ! किसान समाज सहनशीलता का पर्याय रहा हे ,लेकिन जब सर से ऊपर पानी गया हे और वह विरोध करने सड़क पर आया हे तब क्या होता हे यह इतिहास के पन्नों में बड़े अक्षरों में दर्ज हे ! अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई और अनदेखी की गयी तो परिणाम बताने की ज़रूरत नहीं हे !