530 करोड़ की बेशकीमती जमीन के मामले में आदेश पलटा, अधिवक्ता को देश का नागरिक मानते हुवे जानकारी देने के आदेश दिए
जूनी इंदौर तहसील की विधानसभा क्षेत्र 5 के खजराना इलाके में स्थित लगभग 530 करोड़ की भूमि पर वर्षों से बस रहे अवैध पटेल नगर के मामले में बड़ा मोड़ आया है। क्षेत्रीय विधायक महेंद्र हार्डिया ने जिलाधीश को पत्र लिखकर अवैध कब्जे के लिए तैयार किए गए पूरे दस्तावेजों सहित जानकारी न्यायालय में प्रस्तुत करने की मांग की थी, जिससे शासन को इस मामले में करोड़ों का फायदा मिल सकता था।
द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर
लेकिन, इस मामले में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब लोक सूचना अधिकारी जिला कलेक्टर ने आरटीआई के तहत अधिवक्ता को जानकारी देने से यह कहकर मना कर दिया कि अधिवक्ता को नागरिक का दर्जा प्राप्त नहीं है। इस आदेश को लेकर अधिवक्ता ने प्रथम अपील में चुनौती दी, जिसके बाद आदेश पलट दिया गया और न्यायालय ने भविष्य में जानकारी देने का निर्देश दिया। पुरे मामले में एक्सपोज़ लाइव लगातार ख़बरें भी प्रकाशित कर रहा हे ,जिन्हे अपील में तर्क देते हुए पेश भी किया गया ,और आदेश निरस्ती में प्रकाशित ख़बरें सहायक भी रहीं !
दि 13 सितम्बर 2024 को मामले में प्रकाशित खबर को पढ़ने लिए लिंक क्लिक करें
https://theexposelive.com/advocate-cant-get-information-under-RTI
दि 26 जुलाई 2024 को मामले में प्रकाशित खबर को पढ़ने लिए लिंक क्लिक करें
https://theexposelive.com/krishnbagh-sec-c
दि 29 दिसंबर 2023 को मामले में प्रकाशित खबर को पढ़ने लिए लिंक क्लिक करें
https://theexposelive.com/govtlandgrabbed
दि 08 दिसंबर 2023 को मामले में प्रकाशित खबर को पढ़ने लिए लिंक क्लिक करें
https://theexposelive.com/vigilant_MLA
दि 08 दिसंबर 2023 को मामले में प्रकाशित खबर को पढ़ने लिए लिंक क्लिक करें
https://theexposelive.com/khajranalandmafiya
क्या है मामला?
खजराना के सर्वे नंबर 325/3 पैकी की यह भूमि, जो बेशकीमती मानी जाती है, को 1999 में सीलिंग कानून के तहत किसानों से रिक्त कब्ज़ा प्राप्त किया गया था। वर्ष 2001 में उक्त भूमियों पर शासन का नाम भी दर्ज़ हो गया था। इसके बाद भूमाफिया ने इस जमीन पर कब्जा जमाते हुवे और वहां गलत और असत्य दस्तावेजों की सहायता से अवैध बस्ती बसा दी। जिला कलेक्टर ने पिछले वर्ष इस भूमि पर बने फार्महाउस को ध्वस्त कर दिया और रहवासियों को नोटिस दिए गए। फिर भी, भूमाफिया ने नगर निगम के खिलाफ मामला दायर कर 50 लाख का मुआवजा मांगा। विधायक हार्डिया ने अपने पत्र के माध्यम से उच्च न्यायालय बैंच इंदौर में पक्ष रखने हेतु दस्तावेज़ कलेक्टर को दिए।
जानकारी देने से इनकार क्यों किया गया?
इस मामले में जब अधिवक्ता ने आरटीआई के माध्यम से जिलाधीश द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी, तो जिला कलेक्टर के जनसूचना अधिकारी ने एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए जानकारी देने से इनकार कर दिया। आदेश में कहा गया था कि अधिवक्ता को नागरिक का दर्जा नहीं है, इसलिए उसे सूचना का अधिकार नहीं है। हालांकि, यह आदेश राज्य सूचना आयोग द्वारा पहले ही रद्द कर चुका था, लेकिन फिर भी लोक सूचना अधिकारी ने इसी आदेश का सहारा लिया।
अधिवक्ता ने इस इनकार के खिलाफ अपील में तर्क दिए, जिनके आधार पर प्रथम अपीलय अधिकारी ने आदेश को पलटते हुए न केवल जानकारी देने का निर्देश दिया बल्कि तहसील जूनी इंदौर को भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचने की चेतावनी भी दी।
भूमाफिया के खिलाफ विधायक की सख्त कार्रवाई की मांग
विधायक हार्डिया ने पत्र में स्पष्ट रूप से मांग की है कि सभी तथ्यों को न्यायालय में पेश कर गलत तथ्यों और जानकारी छुपाकर प्रस्तुत याचिका के आधार पर लिए स्टे को हटवाया जाए और भूमि को शासन के कब्जे में लिया जाए। इसमें विधायक की मंशा साफ़ है कि यदि समय रहते यह कार्य नहीं किया गया तो शासन की भूमि से भूमाफिया करोड़ों की कमाई कर लेंगे और अंत में गरीब जनता के मकान शासन तोड़ देगी और पीड़ित जनता के मोन से माफिया पर भी कोई कार्यवाही नहीं होंगी।
इस पूरे मामले में अधिवक्ता को जानकारी देने से इनकार करने के मामले में प्रारंभिक रूप से नीचे के स्तर पर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, जो कलेक्टर इंदौर के लिए शोध का विषय है क्योंकि विधायक द्वारा पत्र कलेक्टर को लिखे गए थे जिससे कहीं न कहीं शासन की भूमि भूमाफिया को बचाने के लिए अपनाई जा रही कार्यप्रणाली पर संदेह उत्पन्न हो रहा है।