आख़िरकार कैलाश फिर मैदान में, पुराने दिग्गजों को उतारा मैदान में, भाजपा की दूसरी सूची जारी

एक्सपोज़ लाइव ने पहले ही राजनितिक हालातों को देखते हुए बता दिया था की इस बार भाजपा द्वारा दिग्गजों को ही मैदान में उतारा जायेगा। आज दूसरी सूची जारी करते हुए इंदौर 1 से कैलाश और देपालपुर से मनोज पटेल को अपना उमीदवार घोषित किया।

आख़िरकार कैलाश फिर मैदान में, पुराने दिग्गजों को उतारा मैदान में, भाजपा की दूसरी सूची जारी

केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति से साफ़ होने लगी भविष्य की तस्वीर, भाजपा ने जारी करी दूसरी सूची

पार्टी द्वारा कैलाश को चुनाव लड़वाने को सबसे पहले भांप लिया था एक्सपोज़ लाइव ने

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क, इंदौर।

सुदर्शन के लगातार विरोध और कांग्रेस की विधानसभा में बढ़ती पकड़ को खत्म करने के लिए भाजपा ने अपने एक ब्रह्मास्त्र का प्रयोग इसी विधानसभा में किया ! वहीँ आकाश का टिकट अब लगभग ख़त्म सा हो गया हे इतना ही नहीं अपने पुत्रों के लिए टिकट मांगने वालों को भी एक इशारा इस बार भाजपा ने दे दिया है।

नरेंद्र सिंह तोमर ,फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रहलाद पटेल  को भी मैदान में उतारकर चाणक्य निति का अनुसरण इस बार भाजपा ने किया है कि राजा के विकल्प के तौर पर दूसरे विकल्प भी ज़िंदा कर दिए गए। वहीं इस बार रण की पूरी जानकारी रखने वालों को योद्धा रूप में मैदान में भेजा गया है। वहीँ प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व परिवर्तन की भी नींव रख दी गयी है।

12 साल रहे हैं कैबिनेट

कैलाश विजयवर्गीय (जन्म मई 13, 1956 इंदौर, मध्य प्रदेश) वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्यरत हैं। इंदौर में भारतीय जनता पार्टी से अपना राजनितिक कैरियर प्रारंभ कर वे इंदौर नगर के महापौर बने। बिना कोई चुनाव हारे वे लगातार छः बार विधानसभा के सदस्य चुने गए और वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं। पार्टी में केन्द्रीय नेतृत्व के लिए पदोन्नत होने से पहले वे बारह वर्ष तक राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे

विजयवर्गीय विधानसभा के लिए लगातार वर्ष 1990, 1993, 1998, और 2003 में चुने गए। कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जाने वाली डॉक्टर आंबेडकर नगर-महू की सीट पर मुश्किल चुनाव लड़ते हुए वर्ष 2008 में पांचवीं बार विजयी रहे और लगातार छठी बार वर्ष 2013 में विधायक चुने गए।

बहरहाल भाजपा अब धीरे धीरे अपनी पुरानी सोच पर आते दीख रही है। अब कहा जा सकता हे "लौट के बुद्धू घर को आ ही गए।"