किसानों ,भारतीय किसान संघ के बाद अब सरपंच और ग्राम पंचायत भी उतरी पश्चिमी रिंग रोड के विरोध में 

सांसद विधायक अभी भी मौन ,किसानों का कहना हे  जनप्रतिनिधि अपना रहे दोहरी निति अफसरों से हो रहे भृमित  

किसानों ,भारतीय किसान संघ के बाद अब सरपंच और ग्राम  पंचायत भी उतरी पश्चिमी रिंग रोड के विरोध में 
courtesy: danik bhaskar

द एक्सपोज़ लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर 

पिछले दिनों से चल रहे पश्चिमी रिंग रोड के विरोध में अब ग्राम पंचायतें भी कूद पड़ीं ! बिसनाओदा ग्राम पंचायत  ने ठहराओ प्रस्ताव पारित कर शासन से मांग की  हे की इकनोमिक  कॉरिडोर के नाम पर उनकी उपजाऊ ज़मीन का अधिग्रहण ग्राम पंचायत को मंज़ूर नहीं ,ठहराओ प्रस्ताव  के ज़रिये हम इसका विरोध करते हे ! शासन विकास के नाम जिन भूमियों का अधिग्रहण कर रहा हे वह किसानों की आय और रोज़गार को एकमात्र साधन हे ,भूमियों पर वो पीढ़ियों से कृषि व्यवसाय कर रहे हैं और MPIDC और IDA सड़क बनाने के नाम पर करोड़ों का मुनाफा बनाने के लिए जनता को भृमित कर रहा हे ! 

शासन की तरफ से सिर्फ अनर्गल बयानबाजी की जा रही जो धरातल की असलियत से कौसों दूर हे ! विकास ,निवेश और रोज़गार की जो बातें कहीं जा रही हे वे भी झूठ का पुलिंदा मात्र हे ! २५००० लोगों को रोज़गार देने की बातें कहीं जा रही हे लेकिन इसमें से किसानों को क्या फायदा होगा उस पर कोई निति स्पष्ट नहीं की जा रही हे ! इसके पहले भी सुपर कॉरिडोर पर टाटा और इनफ़ोसिस को सस्ती दरों पर किसानों की बेश्किमिति ज़मीन इस शर्त पर दी गयी थी की इसमें शहर के युवाओं को रोज़गार के लिए प्राथमिकता रहेगी लेकिन असलियत में ऐसा कुछ नहीं हुवा ! जब शासन और प्रशासन से बात करो तो वे गोलमाल जवाब दे कर कन्नी काट लेते हैं ! इस बार किसान किसी भी चिकनी छुपाती बातों के बहकावे में नहीं आएगा ! जब तक निति स्पष्ट नहीं होगी हम एक इंच ज़मीन भी शासन को नहीं देंगे ! 

बढ़ सकती हे सरकार और विपक्ष की परेशानी 

भूमि अधिग्रहण की समस्या और IDA की गलत नीतियों  के कारण  ही वर्ष २०१६ में कृषि कर्मण्यता पुरस्कार मिलने के बावजूद एक वृहद् किसान आंदोलन ने जन्म लिया था और बीजेपी सरकार को बड़ा घाटा उठाना पड़ा था ! इसी तरह अगर और पंचायतें भी विरोध पर उतरतीं हे और यदि फिर भी  विधायकों और सांसदों की चुप्पी सरकार और विपक्ष दोनों के लिए घातक साबित हो सकती हे  !