इस समय करें मां लक्ष्मी का पूजन तो मिलेगा सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य

इस साल दीपावली पूजन के दो शुभ मुहुर्त हैं। पहला लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 28 मिनट तक का है। दूसरा निशीथ काल मुहूर्त – रात 11 बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक है।

इस समय करें मां लक्ष्मी का पूजन तो मिलेगा सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य
diwali pujan

दीपावली पूजन मुहुर्त के अनुसार ही करें लक्ष्मीपूजन नहीं तो नहीं मिलेगा लाभ

द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर। Indore News.

श्री संकटमोचन ज्योतिष एवं अनुष्ठान केंद्र सांवेर जिला इंदौर के पंडित मधुसूदन त्रिवेदी के अनुसार उपर्युक्त दो मुहुर्त के अलावा अन्य शुभ मुहुर्त भी हैं, जो पूरे दिन चलेंगे। इसमें मां लक्ष्मी का पूजन करने पर सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।

शुभ मुहूर्त

दोपहर 12:10 से 1:34 तक

दोपहर 1:34 से 3:00 तक

शाम 4:30 से 6:00 तक

रात्रि - 6:00 से 7:30 तक

श्रेष्ठ स्थिर लग्न मुहूर्त

(वृषभ लग्न )

सायं 6:25 से 8:22 रात्रि तक

(सिंह लग्न )

रात्रि 12:30 से 3 बजे तक

इन सामाग्री से करें पूजन

मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद।

इस मंत्र से करें दीपावली पूजा

दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के लिए मंत्र का भी खासा महत्व है। पूजन करते समय लक्ष्मी माता का इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।

या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।

इसके अलावा लक्ष्मी बीज मन्त्र का भी जाप करना चाहिए-

ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें।

पूजन विधि

सबसे पहले पूजा का संकल्प लें। श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर जी के सामने एक-एक करके सामग्री अर्पित करें। इसके बाद देवी-देवताओं के सामने घी के दीए प्रवज्जलित करें। एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें।  श्री यंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें। देवी सूक्तम का पाठ करें।