इंदौर-1 में ‘संजय’ की दूरदृष्टि की काट किसके पास..?

इंदौर विधानसभा 1 में कांग्रेस की तरफ से भले ही संजय शुक्ला वन एंड ओनली केंडिडेट माने जा रहे हैं, लेकिन भाजपा संगठन की पेशानी पर यह नाम चिंता की लकीरें बढ़ा रहा है। कभी कांग्रेस का गढ़ रही यह विधानसभा के बार फिर से कांग्रेस का गढ़ बनती नजर आ रही है। ऐसे में भाजपा के सामने संकट यह है कि संजय की काट के रूप में किसे आगे किया जाए।

इंदौर-1 में ‘संजय’ की दूरदृष्टि की काट किसके पास..?
yogesh mehta

सुदर्शन का भारी विरोध, भाजपा के सामने असमंजस की स्थिति

क्या उद्योगपति योगेश मेहता के नाम पर खेला जा सकता है जुआ

द एक्सपोज लाइव न्यूज नेटवर्क, इंदौर।

इंदौर-1 में पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता का विरोध तो 2018 के चुनाव के समय से ही हो रहा था, पर भाजपा ने मनमानी करते हुए सुदर्शन को ही टिकिट पकड़ा दिया। सुदर्शन की सारी चुनावी रणनीति धरी रह गई और संजय के चक्रव्यूह में पड़कर वे खेत रहे। सुदर्शन का विरोध इस बार भी कम नहीं पड़ा है। इंदौर-1 के टिकिट के चाहनहार इस बार भी उनकी नैय्या पलटने को कमर कसकर बैठे हैं। ऐसे में भाजपा यदि यह टिकिट रिपीट करती है, तो संजय शुक्ला को वॉक ओवर देने जैसा होगा।

ऐसे में यह तो तय माना जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह की पसंद होने के बाद भी सुदर्शन को रिपीट किए जाने के चांसेज काफी कम है, ऐसे में सवाल यह है कि इंदौर-1 से भाजपा की नैय्या का खेवनहार कौन बनेगा? यूं तो इस विधानसभा के कई दावेदारों के नाम प्रमुखता से चल रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से उद्योगपति खेमे से एक नाम की चर्चा तेजी से चली, वह है योगेश मेहता।

योगेश मेहता को संजय की काट के रूप में क्यों लाया जाए, इसके पीछे तीन प्रमुख कारण नजर आ रहे हैं।

·        पहला कारण है जातिगत समीकरण। योगेश मेहता, पालीवाल ब्राम्हण हैं और इंदौर-1 में ब्राम्हणों का वर्चस्व इतना है कि संजय की जीत में उनकी अहम भूमिका से कोई इनकार नहीं कर सकता। ऐसे में योगेश मेहता इस वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं।

·        दूसरा कारण है औद्योगिक समीकरण। इंदौर-1 को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इंदौर सभी पुराने औद्योगिक क्षेत्र यहीं हैं। योगेश मेहता इस समय उद्योगों के सबसे बड़े संगठन एआईएमपी के अध्यक्ष हैं। इस नाते उद्योगपतियों का सीधा सपोर्ट उनको है। इस क्षेत्र के लेबर क्लास के वोट बैंक पर उनकी सीधी पकड़ है।

·        तीसरा कारण है कि वे भाजपा आर्थिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं। इन नाते संगठन में भी उनकी पैठ है और राजनीति का अनुभव भी।

इंदौर-1 के पांच पेलवान

सुदर्शन गुप्ता- पूर्व विधायक। राजनीति का लंबा अनुभव। संगठन पर तगड़ी पकड़। इंदौर से लेकर भोपाल तक जबर्दस्त सेटिंग।

मालिनी गौड़- यदि इंदौर-4 में विरोध के चलते वहां से हटाया जाता है तो इंदौर-1 में टिकट की प्रबल दावेदार। सिटिंग एमएलए। सीएम की पसंद।

योगेश मेहता- ब्राम्हण चेहरा। एनर्जेटिक और यंग फेस। औद्योगिक क्षेत्र पर पूरी पकड़। संगठन का भी अनुभव।

निरंजन सिंह गुड्डु- पूर्व पार्षद। राजनीति की लंबी पारी। लंबे समय से वेटिंग में। एक बड़ी लॉबी सपोर्ट में। संगठन पर तगड़ी पकड़।

टीनू जैन- दो बार के पार्षद। युवा और ताजा चेहरा। एनर्जेटिक और बेहद एक्टिव। सहज उपलब्ध। जनकार्यों में आगे।