न्याय नगर को न्याय दिलाने के लिए एक बार फिर प्रशासन मैदान में

2 साल बाद फिर प्रशासन आया हरकत में लेकिन कहना दुरुस्त ही  होगा "बहुत कठिन है डगर पनघट की" विकास प्राधिकरण की योजना क्रमांक 171 में सम्मिलित है यह भूमि !  पीड़ित प्राधिकरण को मान रहे हैं दोषी !

न्याय नगर को न्याय दिलाने के लिए एक बार फिर प्रशासन मैदान में

 द एक्सपोज लाइव न्यूज़ नेटवर्क इंदौर

 एक बार फिर नवागत कलेक्टर के आदेश पर जिला प्रशासन न्याय नगर को न्याय दिलाने के लिए मैदान में उतरा ! एसडीएम शाश्वत  शर्मा के नेतृत्व में सहकारिता विभाग ने  कैंप लगाकर न्याय नगर में वर्षों से रह रहे नोटरी के  प्लॉट धारकों को बकायदा जाहिर सूचना देखकर दस्तावेज प्रस्तुत करने का कहा !  एसडीम शर्मा का कहना हे  दस्तावेजों के परीक्षण के बाद यह पता लगाया जाएगा की नोटरी के प्लॉट किसने और किस को दिए हैं और उसके बाद जालसाजों  के ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी ! दरअसल न्याय नगर में तकरीबन 300 से भी अधिक नोटरी धारक मकान बनाकर रह रहे हैं जो पिछले 15 से 20 वर्षों से वहां  निवासरत हें , वहीं दूसरी ओर न्याय नगर द्वारा अपने सदस्यों को इसी भूमि पर प्लॉट की रजिस्ट्री भी की जा चुकी है !  न्याय नगर की संपूर्ण जमीन  इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना क्रमांक 171  मैं सम्मिलित है और यही कारण रहा  कि यहां पर अवैध कब्जे होते चले गए  क्योंकि इंदौर विकास प्राधिकरण ने  इसी भूमि पर पहले योजना क्रमांक 132 लागू करी थी जो बाद में निरस्त हो गई और उसके निरस्त होते ही इंदौर विकास प्राधिकरण ने  नई योजना 171 के नाम से वहां घोषित कर दी ! प्रशासन की इस कारवाही से जहाँ रजिस्ट्री धारकों को उम्मीद जगी हे वही नोटरी धारकों में गहरा रोष भी बढ़ रहा हे ! इसके पहले भी खुद क्षेत्रीय विधायक मामला सुलझाने का प्रयास करते रहें हैं लेकिन विकास प्राधिकरण पुरे मामले में अड़चन बना हुवा हे !

एक पीड़ित सदस्य ने  बताया की इंदौर विकास प्राधिकरण के बारे में कहा भी जाता है, भू माफियाओं को संरक्षण प्राधिकरण के अधिकारी ही देते आए और अपनी योजना में सम्मिलित जमीनों पर अवैध बस्तियां बसाने में भी प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका अव्वल रही है !  न्याय नगर के सदस्यों के पास  भूखंड की रजिस्ट्री तो उपलब्ध है लेकिन न्याय नगर का नक्शा स्वीकृत नहीं होने की वजह से भूखंड क्रमांक किसी भी रजिस्ट्री में नहीं लिखे हैं   नाही प्राधिकरण न्याय नगर को योजना से विमुक्त करने की सोच रहा है !  जब भी कोई व्यक्ति या संस्था नक्शा पास कराने के लिए संबंधित विभाग में जाता है उसे इंदौर विकास प्राधिकरण का अनापत्ति प्रमाण पत्र देना भी अनिवार्य है और इसी का फायदा इंदौर विकास प्राधिकरण अक्सर उठाते आया है !  जहां इंदौर विकास प्राधिकरण कमरे में बैठकर योजनाएं घोषित कर देता है उसका सिला बेचारी जनता को भोगना पड़ता है,  क्योंकि प्राधिकरण जिस उद्देश्य के लिए योजना घोषित करता है बहुत देर से पूरा हो जाने के बाद अक्सर जमीनों को लैंड बैंक के रूप में वर्षों तक खाली रहने देता है और धीरे-धीरे उन पर भू माफिया सक्रिय हो जाते हैं, और जो जमीन बस जाती है उसे प्राधिकरण कई हजारों गुना मुनाफा कमाकर बेच देता है !

 एक अन्य सदस्य ने बताया कि प्राधिकरण के इस आचरण से न सिर्फ आज जिला प्रशासन बल्कि नोटरी धारक , रजिस्ट्री वाले , खुद संस्था  आज परेशान हो रही है !  सदस्य का कहना था की प्राधिकरण ने ओने पौने दाम में यह जमीन का अधिग्रहण किया होगा जिससे यहां हो रही कृषि भी समाप्त हुई और कई किसानों का रोजगार भी खत्म हुआ है !  प्राधिकरण के इस आचरण से न जाने कितने लोग आज दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं पूरा पैसा देने के बाद भी हमें आज प्लॉट उपलब्ध नहीं है और हमारे प्लॉटों पर  सालों पहले कब्जे हो चुके हैं !  प्राधिकरण के अधिकारियों की  जिम्मेदारी होती है या अपनी जमीनों की देखभाल करता रहे लेकिन जमीनी स्तर पर आज तक किसी भी प्राधिकरण के अधिकारी को नहीं देखा गया है ! यहां तक की खुद बोर्ड को भी नहीं मालूम होगा कि प्राधिकरण के पास कहां-कहां भूमि उपलब्ध है और कितनी भूमि पर आज अवैध बस्तियां और अतिक्रमण हो चुके हैं!  प्राधिकरण के अधिकारी सिर्फ भ्रष्टाचार करने में लगे रहते हैं जिन पर कोई भी एजेंसी कभी भी कार्यवाही नहीं करती ,पकड़े भी जाते हैं तो छोटे स्तर के अधिकारी ! 

 बेशक प्रशासन जनता को न्याय दिलाने के लिए मैदान में आ चुका है लेकिन जो वहां वर्षों से रह रहे हैं उन्हें वहां से बेदखल करना और रजिस्ट्री धारकों को उनके प्लॉट दिलाना इतना आसान साबित नहीं हो रहा , बेशक मुख्यमंत्री ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर से जनता को आश्वस्त कर के जा चुके हैं खुद कलेक्टर भी  लोगों को कब्जा दिलाने की बात करते रहे लेकिन इंदौर विकास प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र देने की बात कोई भी नहीं कह रहा है !  पुष्प विहार में भी बेशक कलेक्टर मनीष सिंह ने लोगों को कब्जे तो दिला दिए लेकिन प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र वह भी नहीं दिला पाए और नतीजा यह है पुष्प विहार में आज लोगों को घर बनाने की अनुमति नहीं है बेशक प्लॉट पर कब्जा उनका हे !  सालों से न्यायालय लड़ाई लड़ रही यह संस्थाएं और उनके सदस्यों को न्याय कब मिलेगा यह तो भगवान ही जानता है !